कुछ अपरिहार्य कारणों से एक छोटे अंतराल के लिए लेखन से विदा ले रही हूँ। पिछला वर्ष मेरे लिए बहुत ज्यादा उतार चढाव का रहा। पापा को खोया। कार्यस्थल पर भी अतिरिक्त कार्यभार से मन मस्तिष्क थकान महसूस कर रहा है। जीवन में सबसे कठिन समय वह नहीं होता जब आप अपना सारा धन गँवा दें और आपके पास फूटी कौड़ी भी ना हो। मेरे अनुसार सबसे कठिन समय वह होता है जब आपको आपके 'अपनों' के असली चेहरे दिखाई दें। अब कुछ समय के लिए आत्मचिंतन की आवश्यकता है।
आप सभी के स्नेह की प्रतीक सैकड़ों टिप्पणियाँ, जो मेरे ब्लॉग पर थीं, वे अब मेरे मन में हैं। जल्दी ही लौटूँगी। यह पूर्णविराम नहीं है। सभी को बहुत सारे स्नेह के साथ
- मीना