एक दिन मोबाइल को
छुट्टी दे दो....
फिर से किताबों को,
भोले से ख्वाबों को,
लट्टू पतंगों को,
रिश्तों के रंगों को,
ढूँढ़ने चलो, या फिर
चिट्ठी लिख लो...
एक दिन मोबाइल को
छुट्टी दे दो....
यादों की परियों से,
बचपन की गुड़ियों से,
बट्टी कर लो,
वाट्स अप और
फेसबुक से
कट्टी कर लो...
एक दिन मोबाइल को
छुट्टी दे दो....
फिर ब्रश उठाओ,
कोई पेंटिंग बनाओ,
या सारे दोस्तों को,
घर पर बुलाओ,
अपनों के संग थोड़ी
मस्ती कर लो...
इक दिन मोबाइल को
छुट्टी दे दो....
चलो गाओ गाने,
वो भूले तराने,
तबला उठाओ,
हारमोनियम बजाओ,
चाहे शायरी - कविता
टूटी फूटी कर लो....
एक दिन मोबाइल को
छुट्टी दे दो....
छुट्टी दे दो....
फिर से किताबों को,
भोले से ख्वाबों को,
लट्टू पतंगों को,
रिश्तों के रंगों को,
ढूँढ़ने चलो, या फिर
चिट्ठी लिख लो...
एक दिन मोबाइल को
छुट्टी दे दो....
यादों की परियों से,
बचपन की गुड़ियों से,
बट्टी कर लो,
वाट्स अप और
फेसबुक से
कट्टी कर लो...
एक दिन मोबाइल को
छुट्टी दे दो....
फिर ब्रश उठाओ,
कोई पेंटिंग बनाओ,
या सारे दोस्तों को,
घर पर बुलाओ,
अपनों के संग थोड़ी
मस्ती कर लो...
इक दिन मोबाइल को
छुट्टी दे दो....
चलो गाओ गाने,
वो भूले तराने,
तबला उठाओ,
हारमोनियम बजाओ,
चाहे शायरी - कविता
टूटी फूटी कर लो....
एक दिन मोबाइल को
छुट्टी दे दो....